Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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अजीव, (आस्रव) आस्रव, (बंध) बंध, (संवर) संवर, (निर्जरा)
निर्जरा, (अरु) अने (मोक्ष) मोक्ष, (तत्त्व) ए सात तत्त्वो, (कहे)
कह्यां छे; (तिनकों) ते बधाने (ज्यों का त्यों) जेम कह्यां छे तेम
यथार्थ (सरधानो) श्रद्धा करो. (सोई) एवी रीते श्रद्धा करवी ते
(व्यवहारी) व्यवहारथी सम्यग्दर्शन छे. हवे (इन रूप) ए सात
तत्त्वोने (सामान्य विशेषैं) संक्षेपथी अने विस्तारथी (सुन)
सांभळीने (उर) मनमां-चित्तमां (द्रिढ) अटल (प्रतीत) श्रद्धा
(आनो) करवी जोईए.
भावार्थ१, निश्चयसम्यग्दर्शन होय त्यारे तेनी साथे
व्यवहारसम्यग्दर्शन केवुं होय तेनुं अहीं वर्णन छे. जेने
निश्चयसम्यग्दर्शन न होय तेने व्यवहारसम्यग्दर्शन पण होई शके
नहि, निश्चय श्रद्धासहित सात तत्त्वनी विकल्प-राग सहितनी
श्रद्धाने व्यवहारसम्यग्दर्शन कहेवामां आवे छे.
२. तत्त्वार्थ सूत्रमां ‘‘तत्त्वार्थश्रद्धानं सम्यग्दर्शनम्’’ कह्युं छे, ते
निश्चय सम्यग्दर्शन छे. (जुओ, मोक्षमार्ग प्रकाशक, पृ. ४७७,
पुरुषार्थसिद्ध्युपाय गा. २२) अहीं जे सात तत्त्वनी श्रद्धा कही
६० ][ छ ढाळा