गाथा कही छे. पण तेनो एवो अर्थ नथी के निश्चयसमकित विना
कोईने पण व्यवहारसमकित होई शके.
देह-जीवको एक गिनें बहिरातम तत्त्वमुधा है;
उत्तम मध्यम जघन त्रिविधके अन्तर-आतम ज्ञानी,
द्विविध संग बिन शुध-उपयोगी, मुनि उत्तम निजध्यानी.
जीव (त्रिधा) त्रण प्रकारना (है) छे, (तेमां) (देह जीवको) शरीर
अने आत्माने (एक गिनै) एक माने छे (सो) ते (बहिरातम)
बहिरात्मा छे [अने ते बहिरात्मा] (तत्त्वमुधा) साचां तत्त्वोनो
अजाण अर्थात
आतम) अन्तरात्मा [कहेवाय छे, ते] (उत्तम) उत्तम (मध्यम)
मध्यम अने (जघन) जघन्य एम (त्रिविध) त्रण प्रकारना छे,
[तेमां] (द्विविध) अंतरंग अने बहिरंग ए बे प्रकारनां
(संग बिन) परिग्रह रहित (शुध-उपयोगी) शुद्ध-उपयोगी
(निजध्यानी) आत्मध्यानी (मुनि) दिगम्बर मुनि (उत्तम) उत्तम
अन्तरात्मा छे.