Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Samyagdrashtini Bhavana Samyak Charitra Tatha Maha Vrat.

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आ स्थितिमां महापापरूप मिथ्यात्व टाळवानो उपदेश तेओ
क्यांथी आपी शके? तेओ ‘पुण्य’ने धर्ममां सहायक मानी तेना
उपदेशनी मुख्यता करे छे; ए प्रमाणे धर्मने नामे महा
मिथ्यात्वरूपी पापने अव्यकत रीते पोषे छे. आ भूल जीव टाळी
शके ते माटे सम्यग्दर्शन अने मिथ्यादर्शन तथा सम्यग्ज्ञान अने
मिथ्याज्ञाननुं स्वरूप आ ग्रंथनी त्रीजी अने चोथी ढाळमां आपेल
छे. आनो अर्थ एवो नथी के शुभने बदले अशुभभाव जीवे
करवा; पण शुभ भावने धर्म के धर्ममां सहायक मानवो नहीं,
नीचली अवस्थामां शुभ भाव थया विना रहे नहीं, पण तेने
धर्म मानवो ते मिथ्यात्वरूप महापाप छे.
सम्यग्द्रष्टिनी भावना
पांचमी ढाळमां बार भावनानुं स्वरूप आप्युं छे;
सम्यग्द्रष्टि जीवने ज आ खरी भावना होय छे.
सम्यग्दर्शनथी ज धर्मनी शरूआत थाय छे, तेथी सम्यग्द्रष्टि
जीवने ज आ बार प्रकारनी भावना होय छे; तेमां जे शुभ
भाव थाय छे तेने ते धर्म मानता नथी पण बंधनुं कारण माने
छे, जेटलो राग टळे छे तथा सम्यग्दर्शन
ज्ञाननी जे द्रढता थाय
छे तेने ते धर्म माने छे, तेथी तेने संवरनिर्जरा थाय छे.
अज्ञानीओ तो शुभ भावने धर्म अथवा धर्ममां सहायक माने
छे तेथी तेमने आ खरी भावना होती नथी.
सम्यक्चारित्र तथा महाव्रत
सम्यग्द्रष्टि जीव पोताना स्वरूपमां स्थिर रहे तेने
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