ते (नियत) निश्चयकाळ द्रव्य छे अने (निशि-दिन) रात्रि-दिवस
वगेरे व्यवहारकाळ (परिमानो) जाणो. (यों) आ प्रकारे (अजीव)
अजीव तत्त्वनुं वर्णन थयुं. (अब) हवे (आस्रव) आस्रव तत्त्व
(सुनिये) सांभळो. (मन-वच-काय) मन, वचन, अने कायाना
आलंबनथी आत्माना प्रदेशो चंचळ थवारूप (त्रियोगा) त्रण
प्रकारना योग तथा मिथ्यात्व, अविरत, कषाय (अरु) अने
(परमाद) प्रमाद (सहित) सहित (उपयोगा) आत्मानी प्रवृत्ति ते
(आस्रव) आस्रव तत्त्व कहेवाय छे.
नाखवामां आवे तो ते समाई जाय छे, पछी तेमां खांड नाखवामां
आवे तो ते पण समाई जाय छे; पछी तेमां सोयो नाखवामां आवे
तो ते पण समाई जाय छे; एवी रीते आकाशमां पण खास
अवगाहनशक्ति छे. तेथी तेमां सर्व द्रव्यो एकी साथे रही शके छे.
एक द्रव्य बीजा द्रव्यने रोकतुं नथी.