थयुं. हवे आस्रव तत्त्वनुं वर्णन करे छे. तेना मिथ्यात्व,
अविरति, प्रमाद, कषाय अने योग ए पांच भेद छे. [आस्रव
अने बंध बन्नेमां भेद
ते भावबंध छे.]
जीव प्रदेश बंधै विधिसों सो, बंधन कबहुं न सजिये;
शम-दमतैं जो कर्म न आवै, सो संवर आदरिये,
तप-बलतैं विधि-झरन निरजरा, ताहि सदा आचरिये.
चाकने फरवामां लोढानी खीली, काळ द्रव्यने निश्चयकाळ कहे छे.
लोकाकाशना जेटला प्रदेश छे तेटला ज काळद्रव्य (कालाणुओ) छे, दिवस,
घडी, कलाक, महिना तेने व्यवहारकाळ कहे छे.