Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 9 (Dhal 3).

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‘निश्चयकाळ’+ कहे छे. रात, दिवस, घडी, कलाक वगेरेने
‘व्यवहारकाळ’ कहेवाय छे. आवी रीते अजीव तत्त्वनुं वर्णन
थयुं. हवे आस्रव तत्त्वनुं वर्णन करे छे. तेना मिथ्यात्व,
अविरति, प्रमाद, कषाय अने योग ए पांच भेद छे. [आस्रव
अने बंध बन्नेमां भेद
जीवना मिथ्यात्वमोह-राग-द्वेषरूप
परिणाम ते भावआस्रव छे अने ते मलिन भावोमां स्निग्धता
ते भावबंध छे.]
आuावत्यागनो उपदेश अने बंधा, संवर,
निर्जरानुं लक्षण
ये ही आतमको दुख कारण, तातैं इनको तजिये,
जीव प्रदेश बंधै विधिसों सो, बंधन कबहुं न सजिये;
शम-दमतैं जो कर्म न आवै, सो संवर आदरिये,
तप-बलतैं विधि-झरन निरजरा, ताहि सदा आचरिये.
९.
+ पोते पोतानी अवस्थारूपे स्वयं परिणमता जीवादिक द्रव्योना
परिणमनमां जे निमित्त होय, तेने काळ द्रव्य कहे छे. जेम कुंभारना
चाकने फरवामां लोढानी खीली, काळ द्रव्यने निश्चयकाळ कहे छे.
लोकाकाशना जेटला प्रदेश छे तेटला ज काळद्रव्य (कालाणुओ) छे, दिवस,
घडी, कलाक, महिना तेने व्यवहारकाळ कहे छे.
(जैन सि. प्र.)
७० ][ छ ढाळा