Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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अन्वयार्थ(ये ही) आ मिथ्यात्वादि ज (आतमको)
आत्माने (दुख कारण) दुःखनुं कारण छे. (तातैं) तेथी
(इनको) आ मिथ्यात्वादिने (तजिये) छोडी देवुं जोईए.
(जीवप्रदेश) आत्माना प्रदेशनुं (विधिसौं) कर्मोथी (बंधै) बंधावुं
ते (बंधन) बंध [कहेवाय छे,] (सो) आ [बंध] (कबहुं) क्यारे
पण (न सजिये) न करवो जोईए (शम) कषायोनो अभाव
[अने] (दमतैं) इन्द्रियो तथा मनने जीतवाथी (कर्म) कर्म
(न आवे) न आवे ते (संवर) संवर तत्त्व छे; (ताहि) ते
संवरने (आदरिये) ग्रहण करवो जोईए. (तप
बलतैं) तपनी
शक्तिथी (विधि) कर्मोनुं (झरन) एकदेश खरी जवुं ते
(निरजरा) निर्जरा कहेवाय छे. (ताहि) ते निर्जराने (सदा)
हंमेशा (आचरिये) प्राप्त करवी जोईए.
भावार्थ(१) आ मिथ्यात्वादि ज आत्माने दुःखनुं
कारण छे; पण पर पदार्थ दुःखनुं कारण नथी; तेथी पोताना
दोषरूप मिथ्याभावोनो अभाव करवो जोईए. स्पर्शो साथे
पुद्गलोनो बंध, रागादिक साथे जीवनो बंध अने अन्योन्य-
अवगाह ते पुद्गल-जीवात्मक बंध कहेल छे. (प्रवचनसार गाथा
१७७). राग-परिणाममात्र एवो जे भावबंध ते द्रव्यबंधनो हेतु
त्रीजी ढाळ ][ ७१