अभाव तेने शम कहेवाय छे. अने दम एटले जे ज्ञेय ज्ञायक
संकर दोष टाळी इन्द्रियोने जीतीने ज्ञानस्वभाव वडे अन्य
द्रव्यथी अधिक (जुदो, परिपूर्ण) आत्माने जाणे छे तेने
जाणवुं तेनुं नाम इन्द्रियोनुं दमन कहेवामां आवे छे. परंतु
आहारादि तथा पांच इन्द्रियोना विषयरूप बाह्य वस्तुना
त्यागरूप जे मंद कषाय छे तेनाथी खरेखर इन्द्रियदमन थतुं
नथी, केम के ते तो शुभराग छे, पुण्य छे, माटे बंधनुं कारण
छे एम समजवुं.
आलंबन अनुसार संवर-निर्जरा शरू थाय छे. क्रमे क्रमे जेटला
अंशे रागनो अभाव, तेटले अंशे संवर-निर्जरारूप धर्म थाय छे.
स्वसन्मुखताना बळथी शुभाशुभ इच्छानो निरोध ते तप छे. ते
तपथी निर्जरा थाय छे.