तीसरी ढालका भेद-संग्रह
अचेतन द्रव्य :–पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल ।
चेतन एक, अचेतन पाँचों, रहे सदा गुण-पर्ययवान ।
केवल पुद्गल रूपवान है, पाँचों शेष अरूपी जान ।।
अन्तरंग परिग्रह :–१ मिथ्यात्व, ४ कषाय, ९ नोकषाय
आस्रव :–५ मिथ्यात्व, १२ अविरति, २५ कषाय, १५ योग ।
कारण :–उपादान और निमित्त ।
द्रव्यकर्म :–ज्ञानावरणादि आठ ।
नोकर्म :–औदारिक, वैक्रियिक और आहारकादि शरीर ।
परिग्रह :–अन्तरंग और बहिरंग ।
प्रमाद :–४ विकथा, ४ कषाय, ५ इन्द्रिय, १ निद्रा, १ प्रणय
(स्नेह) ।
बहिरंग परिग्रह :– क्षेत्र, मकान, सोना, चाँदी, धन, धान्य, दासी,
दास, वस्त्र और बरतन–यह दस हैं ।
भावकर्म :–मिथ्यात्व, राग, द्वेष, क्रोधादि ।
मद–आठ प्रकारके हैं–
जाति लाभ कुल रूप तप, बल विद्या अधिकार ।
इनको गर्व न कीजिये, ये मद अष्ट प्रकार ।।
मिथ्यात्व :–विपरीत, एकान्त, विनय, संशय, और अज्ञान ।
रस :–खारा, खट्टा, मीठा, कड़वा, चरपरा और कषायला ।
रूप :–(रंग)–काला, पीला, हरा, लाल और सफे द–यह पाँच रूप
हैं ।
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