छोड़कर (आपो) अपने आत्माको (लख लीजे) लक्षमें लेना चाहिये
अर्थात् जानना चाहिये । [यदि ऐसा नहीं किया तो ] (यह) यह
(मानुष पर्याय) मनुष्य भव (सुकुल) उत्तम कुल और (जिनवानी)
जिनवाणीका (सुनिवौ) सुनना (इह विध) ऐसा सुयोग (गये) बीत
जाने पर, (उदधि) समुद्रमें (समानी) समाये-डूबे हुए
(सुमणि ज्यौं) सच्चे रत्नकी भाँति [पुनः ] (न मिलै) मिलना
कठिन है ।