(आगे) भविष्यमें (जैहैं) जायेंगे (सो) वह (सब) सब (ज्ञान-तनी)
सम्यग्ज्ञानकी (महिमा) महिमा है–ऐसा (मुनिनाथ) जिनेन्द्रदेवने
कहा है । (विषय-चाह) पाँच इन्द्रियोंके विषयोंकी इच्छारूपी (दव-
Chha Dhala (Hindi). Gatha: 8: samyaggyAnkee mahimA Aur vishayechchhA rokanekA upAy (Dhal 4).
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