Chha Dhala (Hindi). Chauthee dhAlki prashnavali.

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२. परिग्रहपरिमाणव्रतमें परिग्रहका जितना प्रमाण (मर्यादा)
किया जाता है, उससे भी कम प्रमाण
भोगोपभोगपरिमाणव्रतमें किया जाता है ।
३. प्रोषधमें तो आरम्भ और विषय-कषायादिका त्याग करने
पर भी एकबार भोजन किया जाता है, उपवासमें तो
अन्न-जल-खाद्य और स्वाद्य –इन चारों आहारोंका सर्वथा
त्याग होता है । प्रोषध-उपवासमें आरम्भ, विषय-कषाय
और चारों आहारोंका त्याग तथा उसके अगले दिन और
पारणेके दिन अर्थात् अगले-पिछले दिन भी एकाशन किया
जाता है ।
४. भोग तो एक ही बार भोगने योग्य होता है; किन्तु उपभोग
बारम्बार भोगा जा सकता है । (आत्मा परवस्तुको
व्यवहारसे भी नहीं भोग सकता; किन्तु मोह द्वारा, मैं इसे
भोगता हूँ –ऐसा मानता है और तत्सम्बन्धी रागको, हर्ष-
शोकको भोगता है । यह बतलानेके लिये उसका कथन
करना सो व्यवहार है । )
चौथी ढालकी प्रश्नावली
१. अचौर्यव्रत, अणुव्रत, अतिचार, अतिथिसंविभाग, अनध्यवसाय,
अनर्थदंड, अनर्थदंडव्रत, अपध्यान, अवधिज्ञान, अहिंसाणुव्रत,
उपभोग, केवलज्ञान, गुणव्रत, दिग्व्रत, दुःश्रुति, देशव्रत,
देशप्रत्यक्ष, परिग्रह-परिमाणाणुव्रत, परोक्ष, पापोपदेश, प्रत्यक्ष,
प्रमादचर्या, प्रोषध उपवास, ब्रह्मचर्याणुव्रत, भोगोपभोग-
परिमाणव्रत, भोग, मतिज्ञान, मनःपर्ययज्ञान, विपर्यय, व्रत,
शिक्षाव्रत, श्रुतज्ञान, सकलप्रत्यक्ष, सम्यक्ज्ञान, सत्याणुव्रत,
चौथी ढाल ][ १२७