मरणसमयका कर्तव्य; वैद्य-डॉक्टरके द्वारा मरण हो; तथापि
अहिंसा, शत्रुका सामना करना–न करना; सम्यग्ज्ञान,
सम्यग्ज्ञान होनेका समय और उसकी महिमा, संल्लेखनाकी
विधि और कर्तव्य, ज्ञानके बिना मुक्ति तथा सुखका अभाव,
ज्ञानका फल तथा ज्ञानी-अज्ञानीका कर्मनाश और विषयोंकी
इच्छाको शांत करनेका उपाय–आदिका वर्णन करो ।
मुक्ति हो सके ऐसा क्षेत्र, व्रतधारीको प्राप्त होनेवाली गति,
प्रयोजनभूत बात, सर्वको जाननेवाला ज्ञान और सर्वोत्तम सुख
देनेवाली वस्तु–इनका नाम बतलाओ ।