(जन) कुटुम्ब (आज्ञाकारी) नौकर-चाकर तथा (इन्द्रिय-भोग) पाँच
इन्द्रियोंके भोग–यह सब (सुरधनु) इन्द्रधनुष तथा (चपला)
बिजलीकी (चपलाई) चंचलता-क्षणिकताकी भाँति (छिन थाई)
क्षणमात्र रहनेवाले हैं ।
विषय–यह सर्व वस्तुएँ क्षणिक हैं–अनित्य हैं–नाशवान हैं ।
जिसप्रकार इन्द्रधनुष और बिजली देखते ही देखते विलीन हो जाते
हैं; उसीप्रकार ये यौवनादि कुछ ही कालमें नाशको प्राप्त होते हैं;
वे कोई पदार्थ नित्य और स्थायी नहीं हैं; किन्तु निज शुद्धात्मा