Chha Dhala (Hindi). Gatha: 3: 1. anitya bhAvanA (Dhal 5).

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उन बारह भावनाओंका स्वरूप कहा जाता है–
१. अनित्य भावना. अनित्य भावना
जोबन गृह गो धन नारी, हय गय जन आज्ञाकारी
इन्द्रिय-भोग छिन थाई, सुरधनु चपला चपलाई ।।।।
अन्वयार्थ :(जोबन) यौवन, (गृह) मकान, (गो)
गाय-भैंस, (धन) लक्ष्मी, (नारी) स्त्री, (हय) घोड़ा (गय) हाथी,
(जन) कुटुम्ब (आज्ञाकारी) नौकर-चाकर तथा (इन्द्रिय-भोग) पाँच
इन्द्रियोंके भोग–यह सब (सुरधनु) इन्द्रधनुष तथा (चपला)
बिजलीकी (चपलाई) चंचलता-क्षणिकताकी भाँति (छिन थाई)
क्षणमात्र रहनेवाले हैं ।
भावार्थ :यौवन, मकान, गाय-भैंस, धन-सम्पत्ति, स्त्री,
घोड़ा-हाथी, कुटुम्बीजन, नौकर-चाकर तथा पाँच इन्द्रियोंके
विषय–यह सर्व वस्तुएँ क्षणिक हैं–अनित्य हैं–नाशवान हैं ।
जिसप्रकार इन्द्रधनुष और बिजली देखते ही देखते विलीन हो जाते
हैं; उसीप्रकार ये यौवनादि कुछ ही कालमें नाशको प्राप्त होते हैं;
वे कोई पदार्थ नित्य और स्थायी नहीं हैं; किन्तु निज शुद्धात्मा
१३२ ][ छहढाला