Chha Dhala (Hindi). Panchavee dhalka bhed-sangrah.

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बादमें उनके अनित्यादि अवगुण देखकर उदासीन हो गया; परन्तु
ऐसी उदासीनता तो द्वेषरूप है । किन्तु अपने तथा शरीरादिके
यथावत् स्वरूपको जानकर, भ्रमका निवारण करके, उन्हें भला
जानकर राग न करना तथा बुरा जानकर द्वेष न करना–ऐसी
यथार्थ उदासीनताके हेतु अनित्यता आदिका यथार्थ चिंतवन करना
ही सच्ची अनुप्रेक्षा है ।
(मोक्षमार्गप्रकाशक पृ. २२९, श्री टोडरमल स्मारक
ग्रन्थमालासे प्रकाशित) ।
पाँचवीं ढालका भेद-संग्रह
अनुप्रेक्षा अथवा भावना :– अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व,
अन्यत्व, अशुचि, आस्रव, संवर, निर्जरा, लोक, बोधिदुर्लभ
और धर्म–ये बारह हैं ।
इन्द्रियोंके विषय :– स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, और शब्द –ये पाँच
हैं ।
निर्जरा :–के चार भेद हैं–अकाम, सविपाक, सकाम, अविपाक ।
योग :–द्रव्य और भाव ।
परिवर्तन :–पाँच प्रकार हैं– द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव और भाव ।
मलद्वार :–दो कान, दो आँखें, दो नासिका छिद्र, एक मुँह तथा
मल-मूत्रद्वार दो–इसप्रकार नौ ।
वैराग्य :–संसार, शरीर और भोग– इन तीनोंसे उदासीनता ।
कुधातु :–पीव, लहू, वीर्य, मल, चरबी, माँस और ही आदि ।
१४८ ][ छहढाला