Chha Dhala (Hindi). Gatha: 3: eshanA, AdAn nikShepan aur prathisthApan samiti (Dhal 6).

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एषणा, आदान-निक्षेपण और प्रतिष्ठापन समिति
छयालीस दोष विना सुकुल, श्रावकतनैं घर अशनको
लैं तप बढ़ावन हेतु, नहिं तन-पोषते तजि रसनको ।।
शुचि ज्ञान संयम उपकरण, लखिकैं गहैं, लखिकैं धरैं
निर्जन्तु थान विलोकि तन-मल मूत्र श्लेषम परिहरैं ।।।।
अन्वयार्थ :[वीतरागी मुनि ] (सुकुल) उत्तम
कुलवाले (श्रावकतनैं) श्रावकके घर और (रसनको) छहों रस
अथवा एक-दो रसोंको (तजि) छोड़कर (तन) शरीरको (नहिं
१५८ ][ छहढाला