प्रतिष्ठापन समिति होती है
करके, जब (आतम) अपने आत्माका (ध्यावते) ध्यान करते हैं,
तब (तिन) उन मुनियोंकी (सुथिर) सुथिर-शांत (मुद्रा) मुद्रा
(देखि) देखकर, उन्हें (उपल) पत्थर समझकर (मृगगण) हिरन
अथवा चौपाये प्राणियोंके समूह (खाज) अपनी खाज-खुजलीको
(खुजावते) खुजाते हैं । [जो ] (शुभ) प्रिय और (असुहावने) अप्रिय
[पाँच इन्द्रियों सम्बन्धी ] (रस) पाँच रस, (रूप) पाँच वर्ण, (गंध)
दो गंध, (फ रस) आठ प्रकारके स्पर्श, (अरु) और (शब्द)