Chha Dhala (Hindi).

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अन्वयार्थ :[वे वीतरागी मुनि ] (दिनमें) दिनमें (इक
बार) एक बार (खड़े) खड़े रहकर और (निज-पानमें) अपने
हाथमें रखकर (अल्प) थोड़ा-सा (अहार) आहार (लें) लेते हैं;
(कचलोंच) केशलोंच (करत) करते हैं, (निज ध्यानमें) अपने
आत्माके ध्यानमें (लगे) तत्पर होकर (परिषह सौं) बाईस प्रकारके
परिषहोंसे (न डरत) नहीं डरते और (अरि मित्र) शत्रु या मित्र,
(महल मसान) महल या स्मशान, (कंचन काँच) सोना या काँच
(निन्दन थुति करन) निन्दा या स्तुति करनेवाले, (अर्घावतारन)
पूजा करनेवाले और (असि-प्रहारन) तलवारसे प्रहार करनेवाले
उन सबमें (सदा) सदा (समता) समताभाव (धरन) धारण करते
हैं ।
१६४ ][ छहढाला