Chha Dhala (Hindi). Gatha: 7: tiryanchgatime nirbalatA tathA dukh (Dhal 1).

< Previous Page   Next Page >


Page 9 of 192
PDF/HTML Page 33 of 216

 

background image
तिर्यंचगतिमें निर्बलता तथा दुःख
कबहूँ आप भयो बलहीन, सबलनि करि खायो अतिदीन
छेदन भेदन भूख पियास, भार-वहन हिम आतप त्रास ।।।।
अन्वयार्थ :[यह जीव तिर्यंच गतिमें ] (कबहूँ) कभी
(आप) स्वयं (बलहीन) निर्बल (भयो) हुआ [तो ] (अतिदीन)
असमर्थ होनेसे (सबलनि करि) अपनेसे बलवान प्राणियों द्वारा
(खायो) खाया गया [और ] (छेदन) छेदा जाना, (भेदन) भेदा
जाना, (भूख) भूख (पियास) प्यास, (भार-वहन) बोझ ढोना,
(हिम) ठण्ड (आतप) गर्मी [आदिके ] (त्रास) दुःख सहन किये ।
भावार्थ :यह जीव तिर्यंचगतिमें किसी समय निर्बल
पहली ढाल ][ ९