(पायो) पाया, [और ] (निकसत) निकलते समय (जे) जो (घोर)
भयंकर (दुख पाये) दुःख पाये (तिनको) उन दुःखोंको (कहत)
कहनेसे (ओर) अन्त (न आवे) नहीं आ सकता ।
सहन की, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता । कभी-कभी तो
माताके पेटसे निकलते समय माताका अथवा पुत्रका अथवा
दोनोंका मरण भी हो जाता है
(तरुण समय) युवावस्थामें (तरुणी-रत) युवती स्त्रीमें लीन (रह्यो)
रहा, [और ] (बूढ़ापनो) वृद्धावस्था (अर्धमृतकसम) अधमरा जैसा
[रहा, ऐसी दशामें ] (कैसे) किस प्रकार [जीव ] (आपनो) अपना
(रूप) स्वरूप (लखै) देखे-विचारे ।