किया किन्तु स्त्रीके मोह (विषय-भोग)में भूला रहा और
वृद्धावस्थामें इन्द्रियोंकी शक्ति कम हो गई अथवा मरणपर्यंत
पहुँचे, ऐसा कोई रोग लग गया कि, जिससे अधमरा जैसा
पड़ा रहा । इस प्रकार यह जीव तीनों अवस्थाओंमें
आत्मस्वरूपका दर्शन (पहिचान) न कर सका
(भवनत्रिक) भवनवासी, व्यंतर और ज्योतिषीमें (सुरतन) देवपर्याय
(धरै) धारण की, [परन्तु वहाँ भी ] (विषय-चाह) पाँच इन्द्रियोंके
विषयोंकी इच्छारूपी (दावानल) भयंकर अग्निमें (दह्यो) जलता