दुःख (सह्यो) सहन किया ।
ज्योतिषी देवोंमेंसे किसी एकका शरीर धारण किया । वहाँ भी अन्य
देवोंका वैभव देखकर पंचेन्द्रियोंके विषयोंकी इच्छारूपी अग्निमें
जलता रहा । फि र मंदारमालाको मुरझाते देखकर तथा शरीर और
आभूषणोंकी कान्ति क्षीण होते देखकर अपना मृत्युकाल निकट है–
ऐसा अवधिज्ञान द्वारा जानकर ‘‘हाय ! अब यह भोग मुझे भोगनेको
नहीं मिलेंगे !’’ ऐसे विचारसे रो-रोकर अनेक दुःख सहन
किये
भी जीव स्वयं पुरुषार्थ कर सकता है ।