Chha Dhala (Hindi). Antar-pradarshan.

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सब बालोंको निकाल दिया जाये उसे ‘‘व्यवहारपल्य’’
कहते हैं; व्यवहारपल्यसे असंख्यातगुने समयको
‘‘उद्धारपल्य’’ और उद्धारपल्यसे असंख्यातगुने कालको
‘‘अद्धापल्य’’ कहते हैं । दस कोड़ाकोड़ी (१० करोड़+
१० करोड़) अद्धापल्योंका एक सागर होता है ।
संज्ञी :–शिक्षा तथा उपदेश ग्रहण कर सकनेकी शक्तिवाले मन
सहित प्राणी ।
स्थावर :–थावर नामकर्मके उदय सहित पृथ्वी-जल-अग्नि-वायु
तथा वनस्पतिकायिक जीव ।
अन्तर-प्रदर्शन
(१) त्रस जीवोंको त्रस नामकर्मका उदय होता है; परन्तु
स्थावर जीवोंको स्थावर नामकर्मका उदय होता है । –दोनोंमें यह
अन्तर है ।
नोट–त्रस और स्थावरोंमें, चल सकते हैं और नहीं चल
सकते– इस अपेक्षासे अन्तर बतलाना ठीक नहीं है; क्योंकि ऐसा
माननेसे गमनरहित अयोगी केवलीमें स्थावरका लक्षण तथा गमन-
सहित पवन आदि एकेन्द्रिय जीवोंमें त्रसका लक्षण मिलनेसे
अतिव्याप्तिदोष आता है ।
(२) साधारणके आश्रयसे अनन्त जीव रहते हैं; किन्तु
प्रत्येकके आश्रयसे एक ही जीव रहता है ।
(३) संज्ञी तो शिक्षा और उपदेश ग्रहण कर सकता है;
किन्तु असंज्ञी नहीं ।
पहली ढाल ][ २७