नोट–किन्हींका भी अन्तर बतलानेके लिये सर्वत्र इस
शैलीका अनुकरण करना चाहिये; मात्र लक्षण बतलानेसे अन्तर
नहीं निकलता ।
पहली ढालकी प्रश्नावली
(१) असंज्ञी, ऊर्ध्वलोक, एकेन्द्रिय, कर्म, गति, चतुरिन्द्रिय,
त्रस, त्रीन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, अधोलोक, पंचेन्द्रिय, प्रत्येक, मध्यलोक,
वीतराग, वैक्रियिक शरीर, साधारण और स्थावरके लक्षण
बतलाओ ।
(२) साधारण (निगोद) और प्रत्येकमें, त्रस और स्थावरमें,
संज्ञी और असंज्ञीमें अन्तर बतलाओ ।
(३) असंज्ञी तिर्यंच, त्रस, देव, निर्बल, निगोद, पशु,
बाल्यावस्था, भवनत्रिक, मनुष्य, यौवन, वृद्धावस्था, वैमानिक,
सबल, संज्ञी, स्थावर, नरकगति, नरकसम्बन्धी भूख, प्यास, सर्दी,
गर्मी, भूमिस्पर्श तथा असुरकुमारोंके दुःख; अकाम निर्जराका फल,
असुरकुमारोंका कार्य तथा गमन; नारकीके शरीरकी विशेषता और
अकालमृत्युका अभाव, मंदारमाला, वैतरणी तथा शीतसे लोहेके
गोलेका गल जाना–इनका स्पष्ट वर्णन करो ।
(४) अनादिकालसे संसारमें परिभ्रमण, भवनत्रिकमें उत्पन्न
होना तथा स्वर्गोंमें दुःखका कारण बतलाओ ।
(५) असुरकुमारोंका गमन, सम्पूर्ण जीवराशि, गर्भ
निवासका समय, यौवनावस्था, नरककी आयु, निगोदवासका समय,
निगोदियाकी इन्द्रियाँ, निगोदियाकी आयु, निगोदमें एक श्वासमें
जन्म-मरण तथा श्वासका परिमाण बतलाओ ।
२८ ][ छहढाला