Chha Dhala (Hindi). Doosaree Dhal Gatha: 1: sansAr (chaturgatee)me paribhraman (Dhal 2).

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दूसरी ढाल
पद्धरि छन्द (१५ मात्रा)
संसार (चतुर्गति)में परिभ्रमणका कारण
ऐसे मिथ्या-दृग-ज्ञान-चर्णवश, भ्रमत भरत दुख जन्म-मर्ण
तातैं इनको तजिये सुजान, सुन तिन संक्षेप कहूँ बखान ।।।।
अन्वयार्थ :[यह जीव ] (मिथ्यादृग-ज्ञान-चर्णवश)
मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्याचारित्रके वश होकर (ऐसे)
इस प्रकार (जन्म-मरण) जन्म और मरणके (दुख) दुःखोंको
(भरत) भोगता हुआ [चारों गतियोंमें ] (भ्रमत) भटकता फि रता
है । (तातैं) इसलिये (इनको) इन तीनोंको (सुजान) भली-भाँति
३० ][ छहढाला