Chha Dhala (Hindi). Doosaree dhalka bhed sangrah Doosaree dhalka lakshan sangrah.

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कर-करके, संसारमें भटककर, अनन्त जन्म धारण करके
अनन्तकाल गँवा दिया; इसलिये अब सावधान होकर आत्मोद्धार
करना चाहिये ।
दूसरी ढालका भेद-संग्रह
इन्द्रियविषय :–स्पर्श, रस, गंध, वर्ण और शब्द ।
तत्त्व :–जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष ।
द्रव्य :–जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल ।
मिथ्यादर्शन :–गृहीत, अगृहीत ।
मिथ्याज्ञान :–गृहीत (बाह्यकारण प्राप्त), अगृहीत (निसर्गज) ।
मिथ्याचारित्र :– गृहीत और अगृहीत ।
महादुःख :–स्वरूप सम्बन्धी अज्ञान; मिथ्यात्व ।
विमानवासी :–कल्पोपपन्न और कल्पातीत ।
दूसरी ढालका लक्षण-संग्रह
अनेकान्त :–प्रत्येक वस्तुमें वस्तुपनेको प्रमाणित–निश्चित
करनेवाली अस्तित्व-नास्तित्व आदि परस्पर-विरुद्ध दो
शक्तियोंका एकसाथ प्रकाशित होना । (आत्मा सदैव स्व-
रूपसे है और पर-रूपसे नहीं है, ऐसी जो दृष्टि वह
अनेकान्तदृष्टि है ।)
अमूर्तिक :–रूप, रस, गंध और स्पर्शरहित वस्तु ।
आत्मा :–जानने-देखने अथवा ज्ञान-दर्शन शक्तिवाली वस्तुको
आत्मा कहा जाता है । जो सदा जाने और जानने रूप
परिणमित हो उसे जीव अथवा आत्मा कहते हैं ।
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