अनन्तकाल गँवा दिया; इसलिये अब सावधान होकर आत्मोद्धार
करना चाहिये ।
तत्त्व :–जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष ।
द्रव्य :–जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल ।
मिथ्यादर्शन :–गृहीत, अगृहीत ।
मिथ्याज्ञान :–गृहीत (बाह्यकारण प्राप्त), अगृहीत (निसर्गज) ।
मिथ्याचारित्र :– गृहीत और अगृहीत ।
महादुःख :–स्वरूप सम्बन्धी अज्ञान; मिथ्यात्व ।
विमानवासी :–कल्पोपपन्न और कल्पातीत ।
शक्तियोंका एकसाथ प्रकाशित होना । (आत्मा सदैव स्व-
रूपसे है और पर-रूपसे नहीं है, ऐसी जो दृष्टि वह
अनेकान्तदृष्टि है ।)
आत्मा :–जानने-देखने अथवा ज्ञान-दर्शन शक्तिवाली वस्तुको
परिणमित हो उसे जीव अथवा आत्मा कहते हैं ।