Chha Dhala (Hindi). Doosaree dhalki prashnavali.

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(३) मिथ्यात्व और मिथ्यादर्शनमें कोई अन्तर नहीं है; मात्र दोनों
पर्यायवाचक शब्द हैं ।
(४) सुगुरुमें मिथ्यात्वादि दोष नहीं होते; किन्तु कुगुरुमें होते हैं ।
विद्यागुरु तो सुगुरु और कुगुरुसे भिन्न व्यक्ति हैं । मोक्षमार्गके
प्रसंगमें तो मोक्षमार्गके प्रदर्शक सुगुरुसे तात्पर्य है ।
दूसरी ढालकी प्रश्नावली
(१) अगृहीत-मिथ्याचारित्र, अगृहीत-मिथ्याज्ञान, अगृहीत-
मिथ्यादर्शन, कुदेव, कुगुरु, कुधर्म, गृहीत-मिथ्यादर्शन,
गृहीत-मिथ्याज्ञान, गृहीत-मिथ्याचारित्र एवं जीवादि छह
द्रव्य–इन सबके लक्षण बतलाओ ।
(२) मिथ्यात्व और मिथ्यादर्शनमें, अगृहीत और गृहीतमें, आत्मा
और जीवमें तथा सुगुरु, कुगुरु और विद्यागुरुमें क्या अन्तर
है, वह बतलाओ ।
(३) अगृहीतका नामान्तर, आत्महितका मार्ग, एकेन्द्रियको ज्ञान न
माननेसे हानि, कुदेवादिकी सेवासे हानि; दूसरी ढालमें कही
हुई वास्तविकता, मृत्युकालमें जीव निकलते हुए दिखाई नहीं
देता उसका कारण, मिथ्यादृष्टिकी रुचि, मिथ्यादृष्टिकी
अरुचि, मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्रकी सत्ताका काल;
मिथ्यादृष्टिको दुःख देनेवाली वस्तु, मिथ्या-धार्मिक कार्य
करने-कराने वा उसमें सम्मत होनेसे हानि तथा सात
तत्त्वोंकी विपरीत श्रद्धाके प्रकारादिका स्पष्ट वर्णन करो ।
(४) आत्महित, आत्मशक्तिका विस्मरण, गृहीत मिथ्यात्व,
जीवतत्त्वकी पहिचान न होनेमें किसका दोष है, तत्त्वका
दूसरी ढाल ][ ५१