धर्मतत्त्वके अच्छे ज्ञाता थे । उन्होंने परमार्थ जकड़ी, फु टकर अनेक
पद तथा प्रस्तुत ग्रंथ छहढालाकी रचना की है । अपनी कवितामें
सरल शब्दों द्वारा सागरको गागरमें भरनेका प्रयत्न किया है ।
उनके शब्द रुचिक र हैं, भाव उल्लास देनेवाला है । उनके पदोंका
भाव मनन करने योग्य है, जो कि जैनसिद्धान्तके जिज्ञासुओंके
लिए बहुत उपयोगी है ।
और जैन परीक्षालयोंके पठन-क्रममें स्थान दिया गया है । सर्व
सज्जनोंसे मेरी प्रार्थना है कि इस ग्रंथका सर्वत्र प्रचार करें और
आत्महितमें अग्रसर होनेके प्रयत्नमें सावधान रहें ।