Chha Dhala (Hindi). Mool Granthkartaka Parichay.

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 8 of 216

 

background image
मूल ग्रन्थकर्ताका कुछ परिचय
श्री पं. दौलतरामजी अलीगढ़के समीप सासनीके रहनेवाले
थे, फि र अलीगढमें रहने लगे । वे पल्लीवाल जातिके नररत्न थे ।
धर्मतत्त्वके अच्छे ज्ञाता थे । उन्होंने परमार्थ जकड़ी, फु टकर अनेक
पद तथा प्रस्तुत ग्रंथ छहढालाकी रचना की है । अपनी कवितामें
सरल शब्दों द्वारा सागरको गागरमें भरनेका प्रयत्न किया है ।
उनके शब्द रुचिक र हैं, भाव उल्लास देनेवाला है । उनके पदोंका
भाव मनन करने योग्य है, जो कि जैनसिद्धान्तके जिज्ञासुओंके
लिए बहुत उपयोगी है ।
इस ग्रन्थका निर्माण विक्रम सं. १८९१में हुआ है, इसकी
उपयोगिताका अनुभव करके इसको प्रायः सभी जैन पाठशालाओं
और जैन परीक्षालयोंके पठन-क्रममें स्थान दिया गया है । सर्व
सज्जनोंसे मेरी प्रार्थना है कि इस ग्रंथका सर्वत्र प्रचार करें और
आत्महितमें अग्रसर होनेके प्रयत्नमें सावधान रहें ।
निवेदक :
नवनीतलाल सी. झवेरी