Chha Dhala (Hindi). Gatha: 2: noshchya samyagadarshan-gyan-charitrakA swaroop (Dhal 3).

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वह निश्चय और उपचार निरूपण वह व्यवहार । इसलिये
निरूपणकी अपेक्षासे दो प्रकारका मोक्षमार्ग जानना । किन्तु एक
निश्चयमोक्षमार्ग है और दूसरा व्यवहारमोक्षमार्ग है–इस प्रकार दो
मोक्षमार्ग मानना मिथ्या है
।।।।
(मोक्षमार्गप्रकाशक देहली पृष्ठ ३६५-३६६)
निश्चयसम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्रका स्वरूप
परद्रव्यनतैं भिन्न आपमें रुचि, सम्यक्त्व भला है
आपरूपको जानपनों, सो सम्यग्ज्ञान कला है ।।
आपरूपमें लीन रहे थिर, सम्यग्चारित सोई
अब व्यवहार मोक्षमग सुनिये, हेतु नियतको होई ।।।।
अन्वयार्थ :(आपमें) आत्मामें (परद्रव्यनतैं)
परवस्तुओंसे (भिन्न) भिन्नत्वकी (रुचि) श्रद्धा करना सो (भला)
निश्चय (सम्यक्त्व) सम्यग्दर्शन है; (आपरूपको) आत्माके
स्वरूपको (परद्रव्यनतैं भिन्न) परद्रव्योंसे भिन्न (जानपनों) जानना
(सो) वह (सम्यग्ज्ञान) निश्चय सम्यग्ज्ञान (कला) प्रकाश (है) है ।
(परद्रव्यनतैं भिन्न) परद्रव्योंसे भिन्न ऐसे (आपरूपमें) आत्मस्वरूपमें
(थिर) स्थिरतापूर्वक (लीन रहे) लीन होना सो (सम्यक्चारित)
५६ ][ छहढाला