मध्यम अन्तरात्मा हैं तथा (देशव्रती) दो कषायके अभाव सहित ऐसे
पंचमगुणस्थानवर्ती सम्यग्दृष्टि श्रावक (मध्यम) मध्यम (अन्तर-
आतम) अन्तरात्मा (हैं) हैं और (अविरत) व्रतरहित (समदृष्टि)
सम्यग्दृष्टि जीव (जघन) जघन्य अन्तरात्मा (कहे) कहलाते हैं;
(तीनों) यह तीनों (शिवमगचारी) मोक्षमार्ग पर चलनेवाले हैं ।
(सकल निकल) सकल और निकलके भेदसे (परमातम) परमात्मा
(द्वैविध) दो प्रकारके हैं (तिनमें) उनमें (घाति) चार घातिकर्मोंको