Chha Dhala (Hindi). Gatha: 5: madhyam aur jaghanya antarAtmA tathA sakal paramAtmA (Dhal 3).

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मध्यम और जघन्य अन्तरात्मा तथा सकल परमात्मा
मध्यम अन्तर-आतम हैं जे, देशव्रती अनगारी
जघन कहे अविरत-समदृष्टि, तीनों शिवमगचारी ।।
सकल निकल परमातम द्वैविध, तिनमें घातिनिवारी
श्री अरिहन्त सकल परमातम लोकालोक निहारी ।।।।
अन्वयार्थ :(अनगारी) छठवें गुणस्थानके समय
अन्तरंग और बहिरंग परिग्रह रहित यथाजातरूपधर–भावलिंगी मुनि
मध्यम अन्तरात्मा हैं तथा (देशव्रती) दो कषायके अभाव सहित ऐसे
पंचमगुणस्थानवर्ती सम्यग्दृष्टि श्रावक (मध्यम) मध्यम (अन्तर-
आतम) अन्तरात्मा (हैं) हैं और (अविरत) व्रतरहित (समदृष्टि)
सम्यग्दृष्टि जीव (जघन) जघन्य अन्तरात्मा (कहे) कहलाते हैं;
(तीनों) यह तीनों (शिवमगचारी) मोक्षमार्ग पर चलनेवाले हैं ।
(सकल निकल) सकल और निकलके भेदसे (परमातम) परमात्मा
(द्वैविध) दो प्रकारके हैं (तिनमें) उनमें (घाति) चार घातिकर्मोंको
जीवके भेद-उपभेद
६० ][ छहढाला