Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Gyatana Vichar.

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ज्ञाताना विचार
ज्ञाता एवो विचार करे छे केउपयोग ज्ञेयोनुं अवलंबन करे
छे, ज्ञेयावलंबी थाय छे. ज्ञेयने अवलंबनधारी शक्ति ज्ञेयनुं अवलंबन
करीने छोडी दे छे. ज्ञेयनो संबंध अस्थिर छे, ज्ञेयपरिणाम पण छूटी
जाय छे; तेथी ज्ञेय, ज्ञेयपरिणाम निज वस्तु नथी. ज्ञेयने अवलंबनारी
शक्तिने धरनारी चेतनावस्तु छे. ज्ञेय (साथे) मळवाथी अशुद्ध थई,
परंतु शक्ति शुद्ध गुप्त छे. जे शुद्ध छे ते रहे छे, अशुद्ध छे ते
रहेतुं नथी, माटे अशुद्ध (तो) उपरनो मळ छे. अने शुद्ध (ते)
स्वरूपनी शक्ति छे. जेम स्फटिक विषे लाल रंग देखाय छे (ते)
स्फटिकनो स्वभाव नथी तेथी मटी जाय छे, स्वभाव (छे ते) जतो
नथी.
जेम मयूर (प्रतिबिंबवाळा) अरीसामां मोर पदार्थ देखाय छे,
पण (खरेखर अरीसामां) मोर पदार्थ नथी, अरीसामां तो मात्र
प्रतिबिंब छे. कर्मद्रष्टिमां आत्मा परस्वरूप थयेलो भासे छे परंतु
आत्मा पर थतो नथी.
जेम धतूराने पीवाथी द्रष्टि श्वेत शंखने पीळो देखे छे, परंतु
(ते) द्रष्टि विकार छे, द्रष्टिनाश नथी. तेम (जीव) मोहनी घेलछाथी
परने पोता(रूप) माने छे परंतु पर ते पोता(रूप) थतुं नथी.
जेम कठियाराने चिंतामणि प्राप्त थयो, (पण) तेनी परीक्षा न
जाणी, तोपण चिंतामणिनो प्रभाव न गयो. तेम (जीवे) अज्ञानथी
स्वरूपनो महिमा न जाण्यो तोपण स्वरूपनो प्रभाव न गयो.
जेम वादळानी घटामां सूर्य छुपायो छे, परंतु छुपायेलो पण