Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration).

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१४ ]
चिद्दविलास
द्रव्यपर्यायरूप छे; द्रव्यरूप निर्विकल्प ज्ञानमात्र वस्तु, पर्याय मात्र
स्वज्ञेयपरज्ञेयने जाणे छे. ज्ञेयना पर्याय वडे ज्ञाननुं पर्यायरूप थवा वडे
ज्ञान ज्ञेयोना अवलंबने छे. [जे ज्ञेयोने जाणवारूप परिणति छे ते
ज्ञाननो पर्याय छे, तेथी ज्ञाननो पर्याय कहेतां ज्ञान ज्ञेयना अवलंबने
छे एम कहेवामां आवे छे.] अने वस्तुमात्र [कहेतां] पोताना अवलंबने
छे.
[२] ज्ञानने पर्याय मात्र कहेतां अनेक छे, वस्तुमात्र [कहेतां] एक
छे.
[३] ज्ञान पर्यायमात्र [कहेतां] नास्ति छे, वस्तुमात्र [कहेतां]
अस्ति छे.
[४] [ज्ञान] पर्यायमात्र [कहेतां] अनित्य छे, वस्तुमात्र [कहेतां]
नित्य छे.
आ प्रमाणे समाधान करवुं ते स्याद्वाद छे, अने ए ज प्रमाणे
वस्तुनुं स्वरूप छे.
ज्ञान वस्तु पोताना अस्तित्वपणाथी चार भेदवाळी छे. ज्ञानमात्र
जीव स्वद्रव्यपणे अस्ति, स्वक्षेत्रपणे अस्ति, स्वकाळपणे अस्ति अने
स्वभावपणे अस्ति [छे], [ते] परद्रव्यपणे नास्ति, परक्षेत्रपणे नास्ति,
परकाळपणे नास्ति ने परभावपणे नास्ति [छे]. ज्ञाननां द्रव्य-क्षेत्र-काळ-
भाव ज्ञेयमां नथी. ज्ञेयनां [ द्रव्य-क्षेत्र-काळ-भाव] ज्ञानमां नथी. ज्ञानना
पोताना निज लक्षणनी अपेक्षावडे [अने] अन्य गुण लक्षण निरपेक्षता
वडे ज्ञाननी संज्ञा
संख्या
लक्षणप्रयोजनता ज्ञानमां छे, अन्यनी नथी.
अन्य गुणोनी संज्ञासंख्यालक्षणप्रयोजनता अन्य गुणोमां छे.
(वळी ) तेमां कोई एक विशेष भेद लखीए छीए, ते विशेष
ज्ञानथी विशेष सुख छे, ज्ञान [अने] आनंदनुं सामीप्यपणुं छे.
तेथी ज्ञानविषे सात भेद छे, ते आ प्रमाणेःनाम,