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चिद्दविलास
विशेष(पणुं) सर्व भावोमां (बधा पदार्थोमां) छे. तदात्मक (सामान्य
विशेषात्मक) वस्तुना निर्विकल्प स्वरूप मात्रनुं अवभासन (तेने) दर्शन
कहीए.
(पूर्वे जेम ज्ञान विषे सात भेद कह्या हता तेम) दर्शन विषे पण
सात भेद छे, ते कहीए छीएः –
(१) (नाम – ) दर्शन एवुं नाम, देखवाथी पडयुं तेथी (दर्शन)
ते नाम छे.
(२) (लक्षण – ) देखवामात्र लक्षण छे.
(३) (क्षेत्र – ) असंख्यात प्रदेशमां क्षेत्र छे.
(४) (काळ – ) दर्शननी स्थितिनी मर्यादाने काळ कहीए.
(५) (संख्या – ) वस्तुरूपे एक छे, शक्ति (अने) पर्याये अनेक
छे. ते संख्या छे.
(६) (स्थान स्वरुप – ) (दर्शन) वस्तु पोताना स्थानमां पोताना
स्वरूपने धारीने रहे छे ते स्थानस्वरूप छे.
(७) (फळ – ) आनंद (तेनुं) फळ छे, (अथवा) वस्तु भाववडे
आ दर्शननो शुद्ध प्रकाश ते ज (तेनुं) फळ छे. विवक्षाओ अनेक छे ते
प्रमाण छे.
आ रीते दर्शननुं संक्षेपमात्र कथन कह्युं.