Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration).

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चिद्दविलास
अहीं कोई प्रश्न करे छे के उत्पादादि जीवादिकथी भेदस्वरूपे
सधाय छे के अभेदरूप सधाय छे? जो अभेदरूप सधाय छे तो
त्रिलक्षणपणुं न होय, जो भेदरूप सधाय छे तो सत्ताभेद थतां सत्ता
घणी थई, त्यां विपरीतता थाय छे.
तेनुं समाधाान :लक्षणभेद छे, सत्ताभेद नथी, तेथी सत्ता
अपेक्षाए अभेद अने संज्ञादि (अपेक्षाए) भेद जाणवो. वस्तुनी सिद्धि
उत्पाद
व्ययध्रुव त्रणेथी छे. अष्टसहस्रीमां कह्युं छे केः
पयोव्रतो न दध्यत्ति न पयोत्ति दधिव्रतः
अगोरसव्रतो नोभे तस्मात्तत्वं त्रयात्मकम् ।।६०।।
घटमौलि सुवर्णार्थी नाशोत्पादस्थितिष्वयम्
शोकप्रमोदमाध्यथ्यं जनो याति सहेतुकम् ।।५९।।
[देवागमआप्तमिमांसा]
जेम कोई पुरुषे दूधनुं व्रत लीधुं छे के हुं दूध ज पीश. ते दहींनुं
भोजन करतो नथी, अने जेने दहींनुं व्रत छे ते दूधनुं भोजन करतो
नथी, तथा जेने गोरसनो नियम छे के हुं गोरस नहि लउं, ते गोरसने
ग्रहण करतो नथी. माटे तत्त्व छे ते त्रणे थईने छे. दूध छे ते गोरसनो
पर्याय छे अने दहीं (पण गोरसनो) पर्याय छे, एक पर्यायमात्रने ग्रहण
करवाथी गोरसनी सिद्धि थती नथी, गोरस सर्व (आखुं) (तेमां) आवी
जतुं नथी. तेम एक उत्पादमां अथवा व्ययमां अथवा ध्रुवमां वस्तुनी
सिद्धि थती नथी, (पण) वस्तु त्रणे वडे सिद्ध छे. जेम कोई पंचरंगी
चित्र छे, (तेमांथी) एक ज रंगने ग्रहवाथी चित्रनुं ग्रहण थतुं नथी;
तेम उत्पाद-व्यय-ध्रुव ए त्रणेमय वस्तु छे, (उत्पादादि कोई) एक ज
वडे तेनुं ग्रहण थतुं नथी.
जो वस्तुने ध्रुव ज मानो तो बे दोष लागेएक तो ध्रुवनो ज
१. जुओ प्रवचनसार गा. १०० टीका.