क्रमवर्ती पर्यायथी व्याप्त होवा छतां पण, द्रव्यार्थिकनयथी पोतानी
वस्तुना सत्वडे जेवा छे तेवा ऊपजे छे. पर्यायनी अपेक्षाए ऊपजवुं
एवुं छे, परंतु अन्वयशक्तिमां तो जेवा ने तेवा छे, तोपण लेवामां
आव्या छे. पर्यायशक्तिमां असत् उत्पाद बताव्यो छे; केमके पर्याय
नवा नवा उपजे छे तेथी (तेने असत् उत्पाद) कह्यो छे; परंतु ते
अन्वयशक्तिथी व्याप्त छे. (असत् उत्पाद) पर्यायार्थिक नयथी छे.
ज्ञानविषे न आव्या. ज्ञेयना ऊपजवाथी (ज्ञानने) ऊपज्युं कहो छो के
ज्ञानना पर्याय अपेक्षाए तेने ऊपज्युं कहो छे?
अने ज्ञान ज्ञेयमां; तेथी वस्तुत्वथी सत् उत्पाद छे, पर्याय वडे असत्
उत्पाद छे.
उत्पाद वडे सत् उत्पाद सिद्ध थयो! (तेम ज) द्रव्यथी पर्याय थाय छे