Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Dravyano Sat Utpad Ane Asat-Utpad.

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चिद्दविलास
द्रव्यनो सत्उत्पाद अने असत्उत्पाद
हवे द्रव्यनो सत्उत्पाद अने असत्उत्पाद बतावे छे. द्रव्यनो
आ सत्स्वभाव अनादिनिधन छे; द्रव्य-गुण अन्वयशक्तिवाळां छे; ते
क्रमवर्ती पर्यायथी व्याप्त होवा छतां पण, द्रव्यार्थिकनयथी पोतानी
वस्तुना सत्वडे जेवा छे तेवा ऊपजे छे. पर्यायनी अपेक्षाए ऊपजवुं
एवुं छे, परंतु अन्वयशक्तिमां तो जेवा ने तेवा छे, तोपण लेवामां
आव्या छे. पर्यायशक्तिमां असत् उत्पाद बताव्यो छे; केमके पर्याय
नवा नवा उपजे छे तेथी (तेने असत् उत्पाद) कह्यो छे; परंतु ते
अन्वयशक्तिथी व्याप्त छे. (असत् उत्पाद) पर्यायार्थिक नयथी छे.
अहीं कोई प्रश्न करे केशुं ज्ञेय ज्ञान विषे विणसे छे? ऊपजे
छे? (जो ज्ञेयो ज्ञानविषे ऊपजे छे एम कहो तो) त्यां असत्उत्पाद
छे, (अने जो ज्ञेयो ज्ञानविषे नथी उपजतां एम कहो तो) ज्ञेयो
ज्ञानविषे न आव्या. ज्ञेयना ऊपजवाथी (ज्ञानने) ऊपज्युं कहो छो के
ज्ञानना पर्याय अपेक्षाए तेने ऊपज्युं कहो छे?
तेनुं समाधाान :द्रव्य वडे सत् उत्पाद छे, पर्यायथी असत्
उत्पाद छे. ज्ञेय-ज्ञायक, उपचार संबंध छे, उपचारथी ज्ञेय ज्ञानमां
अने ज्ञान ज्ञेयमां; तेथी वस्तुत्वथी सत् उत्पाद छे, पर्याय वडे असत्
उत्पाद छे.
अहीं कोई प्रश्न करे छे केपर्याय वगर द्रव्य होतुं नथी,
द्रव्यनी सिद्धि पर्यायथी छे, पर्याय वडे असत् उत्पाद (छे) तेथी असत्
उत्पाद वडे सत् उत्पाद सिद्ध थयो! (तेम ज) द्रव्यथी पर्याय थाय छे
प्रवचनसार गा. १११-२-३