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चिद्दविलास
सामान्य-विशेषरुप वस्तु उपर अनंत नय
ज्ञानसामान्य ग्राहकनयथी ज्ञान सामान्यरूप कहीए; ज्ञानविशेष
ग्राहकनयथी ज्ञान विशेषरूप कहीए. (ए प्रमाणे) अनंतगुणोमां अनंत
सामान्य-विशेषनयथी सामान्य-विशेष बंने भेद साधवा.
पर्यायसामान्य ग्राहकनयथी परिणमनरूप पर्याय; पर्यायविशेष
ग्राहकनयथी गुणपर्याय, द्रव्यपर्याय, अर्थपर्याय, व्यंजनपर्याय (तेमज)
एकगुणना अनंत पर्यायो (छे ते) सर्वे लेवा.
१सामान्य संग्रहनयथी द्रव्यो परस्पर अविरुद्ध कहीए. विशेष
संग्रहनयथी सर्व जीवो परस्पर अविरुद्ध कहीए.
२नैगमनय त्रण प्रकारनो छे – भूत, भावि, वर्तमान; भूतनैगम
आ प्रमाणेः आजे दीपमालिकाना दिवसे वर्धमानजी मोक्ष गया. भावी
तीर्थंकरजीने वर्तमान तरीके मानवा (तेने) भाविनैगम कहीए. वर्तमान -
नैगमथी ‘ओदनः पच्यते’ भात थाय छे, एम कहीए.
नैगम (नय)ना बे प्रकार छे —
(१) द्रव्य नैगम (२) पर्याय नैगम.
द्रव्य नैगमना बे भेद छे —
(१) शुद्ध द्रव्य नैगम, (२) अशुद्ध द्रव्य नैगम.
पर्याय नैगमना त्रण भेद छे —
१. आलापपद्धति पृ. ६६.
२. आलापपद्धति पृ. ६४.