Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration).

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व्यवहार
[ ४५
अविभागी पुद्गल थया,
संसार परिणति नाश थई, सिद्ध परिणति ऊपजी;
आवरण
मोह अंतराय कर्मनी रोक नाश थई, अनंतज्ञान
अनंतदर्शनअनंतचारित्र अने अनंतवीर्य खूल्यां;
मिथ्यात्व गयुं. सम्यक्त्व थयुं;
अशुद्धता गई, शुद्धता थई;
पुद्गलवडे जीव बंधायो, जीवनुं निमित्त पामीने पुद्गलो
कर्मरूप थया, जीवे कर्मोनो नाश कर्यो, आ वणस्युं, आ
ऊपज्युं,
एवा पर्यायना ऊपजता
वणसता भावने लीधे सर्वे,
व्यवहार नाम पामे छे.
(२)
वळी, एक आकाशना लोक अने अलोक (एवा) भेद करीए;
काळनी वर्तनाना अतीत, अनागत अने वर्तमान (एवा) भेद
करवा,
ए प्रमाणे बीजुं [पण समजवुं]
वळी, एक वस्तुना द्रव्य-गुण-पर्याय वडे भेद करवा;
[एक सत्ना उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य वडे भेद करवा;
एक वस्तुना कर्ता-कर्म-क्रिया वडे भेद करवा];
एक जीव वस्तुना बहिरात्मा, अंतरात्मा, परमात्मा (एवा भेद
करवा);
एक द्रव्य समूहना असंख्यात के अनंत प्रदेशो वडे भेद करवा.
[एक द्रव्यना अनंत गुण वडे भेद करवा;
१. आ वाक्यो चिद्विलासमां नथी, आत्मावलोकनमां छेः पृ. २३.
२. आ वाक्य हिंदी चिद्विलासमां बे वार छे.