पर्यायार्थिक नयना प्रकारो[ ५३
(४) सत्तासापेक्ष स्वभाव अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक; जेम के
पर्याय एक समयमां त्रयात्मक छे.
(५) कर्मोपाधि निरपेक्ष स्वभाव अनित्य शुद्ध पर्यायार्थिक, जेम
के संसारी जीवोना पर्यायो सिद्धपर्यायसद्रश शुद्ध छे.
(६) कर्मोपाधि सापेक्ष विभाव अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक; जेम
के संसारी जीवोने जन्म-मरण छे.
— पर्यायार्थिक नयना आ छ भेद छे.
पृ. ४३ थी शरू करीने अहीं सुधी नैगम, संग्रह, व्यवहार,
ॠजूसूत्र, शब्द, समभिरूढ अने एवंभूत ए सात नयोनुं वर्णन कर्युं ].
आ नयोमां पहेला पहेलानो नय पछीना नयनी अपेक्षाए विरूद्ध
महाविषयवाळो छे, अने पछी पछीना नय पहेला नयनी अपेक्षाए
सूक्ष्म-अल्प अनुकूळ विषयवाळा छे. [आ संबंधी घणो सुंदर ✽
खुलासो
तत्त्वार्थराजवार्तिक पृ. ४९३-४मां कर्यो छे. टूकमां तेनी समजण आ
प्रमाणेः — जेम के एक पक्षीनो अवाज सांभळीने एक माणसे कह्युं
के आ नगरमां पक्षी बोले छे – १, बीजाए कह्युं – आ नगरना एक झाड
उपर पक्षी बोले छे – २. त्रीजाए कह्युं – झाडनी मोटी डाळ उपर पक्षी
बोले छे – ३. चोथाए कह्युं – नानी डाळी उपर पक्षी बोले छे – ४.
पांचमाए कह्युं – डाळीना एक भाग उपर बेसीने पक्षी बोले छे – ५.
छठ्ठाए कह्युं – पक्षी पोताना शरीरमां बोले छे – ६, अने सातमाए कह्युं –
पक्षी पोताना कंठमां बोले छे – ७. जेम आ द्रष्टांतमां पक्षीना बोलवानुं
स्थान पहेलां मोटुं बताव्युं छे अने पछी क्रमे क्रमे ओछुं थतुं जाय छे
तेम नैगमथी एवंभूत सुधीना सात नयमां पण समजवुं. नैगम नयनो
विषय सौथी वधारे छे अने एवंभूत नयनो विषय सौथी अल्प छे.
आ अपेक्षाए कह्युं के पहेला पहेला नयनो विषय महान छे अने पछी
पछीना नयनो विषय सूक्ष्म-अल्प छे. वळी, पहेला नये जेटला पदार्थोनो
✽आलाप