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चिद्दविलास
विषय कर्यो छे तेटला पदार्थोने बीजो नय विषय करतो नथी. आ
अपेक्षाए पहेला पहेलाना नयो विरुद्ध महा विषयवाळा छे, अने
पछीना नये जे पदार्थनो विषय कर्यो छे ते पदार्थो पहेला नयना
विषयमां गर्भित छे, तेथी पछी पछीना नयो अल्प अनुकूळ विषयवाळा
छे. विशेष माटे जुओ, तत्त्वार्थराजवार्तिक.
ए प्रमाणे नयोना प्रकारोनुं वर्णन करीने तेनुं फल बतावतां
ग्रंथकार कहे छे के नय – प्रमाण द्वारा सुख थाय छे.]
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सुख अधिाकार
आ नय – प्रमाण द्वारा युक्तिथी शिवसाधन थाय छे, अने तेनाथी
अनंतगुणो शुद्ध थाय छे. ते अनंत गुणनी शुद्धतानुं फळ सुख छे, ते
कहीए छीएः –
स्व वस्तुने देखतां, जाणतां, परिणमतां सुख थाय, आनंद थाय;
ते अनुपम, अबाधित, अखंडित, अनाकुळ (अने) स्वाधीन छे, (ते)
सर्व द्रव्य-गुण-पर्यायनुं सर्वस्व छे. जेम सर्व उद्यम फळ विना वृथा होय.
फळ युक्त कार्यकारी होय, तेम सुख कार्यकारी वस्तु छे.
ए प्रमाणे सुख – अधिकार पूरो थयो.