आपवामां आवेला विषयो मुमुक्षुओ सरळताथी समजी शके तेथी गुजराती
भाषामां तेनो अनुवाद प्रसिद्ध करवामां आवे छे.
ज्ञान करवानी जरूरियात होवाथी आ ग्रंथमां तेनुं स्वरूप अनेक पडखांओथी
समजाववामां आव्युं छे. तेमांथी खास लक्षमां राखवा लायक केटलाक विषयो
तरफ मुमुक्षुओनुं ध्यान अहीं खेंचवामां आवे छे
कांई पुरुषार्थ रहेतो नथी. वळी तेओ एम कहे छे के पर संबंधीनुं आत्मानुं
ज्ञान व्यवहारनये छे अने व्यवहार जूठो छे माटे सर्वज्ञपणुं जूठुं छे. तेमनी
आ मान्यताओ तद्दन मिथ्या छे. एम आ ग्रंथमां नीचेना शब्दोमां कह्युं
छेः
नथी; परंतु आटलुं विशेष छे के उपयोग ज्ञानमां स्व पर प्रकाशकशक्ति
छे, ते पोताना स्वरूप प्रकाशनमां निश्चळ व्याप्य व्यापक वडे लीन थयेलो
अखंड प्रकाश छे; परनुं प्रकाशन तो छे परंतु व्यापकरूप एकता नथी तेथी