Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration).

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५६ ]
चिद्दविलास
एकत्व छे. जो एक अंगमां जीव होय तो ज्ञानजीव, दर्शनजीव
प्रमाणे अनंत गुणो अनंत जीव थई जाय. माटे अनंत गुणनो पुंज
जीववस्तु छे.
[वळी जीवमां एक चितिशक्ति (चैतन्यशक्ति) कहेवामां आवी
छे.] अहीं कोई प्रश्न करे केजो चेतना भावने (जीवनशक्तिनी
व्याख्यामां) जीवनुं लक्षण कह्युं, तो चैतन्यशक्ति जुदी शा माटे कही?
तेनुं समाधान
चैतन्यशक्ति जे छे ते जडना अभावथी छे. अने
ज्ञानचेतना आदि अनंत चेतना सहित छे. ते अनंत चेतनाना प्रकाशरूप
चिद्शक्ति होय तो जीवनशक्ति रहे, चेतनाना अभावथी जीवनो
अभाव छे. चेतना प्रकाशरूप छे. अनंत गुण
पर्याय (रूप) चेतना
प्राणने धारण करीने जीवनशक्ति सदा जीवे छे. विशेष (रूपे जोतां) गुण
तत्त्व, पर्याय तत्त्व अने द्रव्य तत्त्व ए त्रणे मय जीवतत्त्वने जीवनशक्ति
प्रकाशे छे. ते चेतना-लक्षणनो प्रकाश सदा प्रकाशित रहे तो जीवत्व नाम
पामे. माटे चेतनालक्षण जीववस्तुनुं छे; अने चिद्शक्ति जुदी कही, ते
चैतन्यशक्ति पोताना अनंत प्रकाशरूप महिमाने धारण करे छे ते
बताववा माटे (तेने) जुदी कही, पण (अभेदपणे)) देखीए तो ते लक्षण
जीवनशक्तिनुं ज छे. जेम
सामान्य चेतना चेतनाना पुंजरूप छे अने
विशेष चेतना, ज्ञानचेतना दर्शनचेतना (वगेरे) अनंतरूप छे; सामान्य
चेतनाथी विशेष चेतना जुदी नथी; विशेष चेतना विना चेतनानुं स्वरूप
जाणवामां न आवे. तेम
जीवनशक्तिथी चेतनभाव जुदो नथी, पण
चेतनभावोनुं विशेष कह्या विना जीवनशक्तिनुं स्वरूप जाणवामां न
आवे. आ जीवनशक्ति अनादिनिधन अनंत महिमाने धारण करे छे
अने सर्व शक्तिओमां ते सार छे, तथा ते सर्वनो जीव छे, (अर्थात्
जीवनशक्ति बधी शक्तिओनो आत्मा छे). आवी जीवनशक्तिने
जाणवाथी जीव जगत्पूज्य पदने पामे छे, माटे जीवनशक्तिने जाणो.
❍ ❑ ❍
१. गुज. समयसार पृ. ५०३.