Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Tapa Virya.

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चिद्दविलास
स्वभाव आव्यो परंतु एटलुं विशेष छे के जुदी गुणवर्तनामां गुणवर्तने
छे. ज्ञानवर्तनामां ज्ञानवर्तना छे, दर्शनवर्तनामां दर्शनवर्तना छे; ए
प्रमाणे जुदा जुदा गुणमां गुणवर्तना जुदी जुदी छे. पर्यायमां
पर्यायवर्तना छे; तेमां एटलुं विशेष छे के
जे समये जे पर्याय छे
ते पर्यायनी वर्तना तेमां छे; बीजा समयना पर्यायनी वर्तना बीजा
समयना पर्यायमां छे. एकपर्यायमां बीजा पर्यायनी वर्तना (होती)
नथी (केमके) पर्याय जुदा जुदा छे. तेथी द्रव्यनी गुण पर्यायना
पुंजनी
वर्तना एक गुणमां के एक पर्यायमां आवी जती नथी, केम
के वस्तुनो एक गुण (आखा) द्रव्यरूप होय नहि. जो गुणपुंज
(
द्रव्य) एक गुणमां ज आवी जाय तो गुण अनंत (होवाथी) अनंत
द्रव्य थई जाय. गुणपुंजवर्तना द्रव्यनी (छे), तेने एक गुणवर्तना न
कहीए, केम के एक गुणरूप द्रव्य नथी; पुंज गुणोवडे गुणपुंजमां वर्ते
छे. तेमां द्रव्यविवक्षामां द्रव्यवर्तना, गुणविवक्षामां गुणवर्तना,
पर्यायविवक्षामां पर्यायवर्तना (ए रीते) अनेकांत सिद्धि विवक्षाथी छे.
तेथी गुण-पर्याय-द्रव्यनी वर्तना
मर्यादा अथवा स्थिति, तेने निष्पन्न
राखवानुं (जे) सामर्थ्य तेनुं नाम काळवीर्यशक्ति छे.
तपवीर्य
हवे तपवीर्यनुं वर्णन करीए छीएःतप निश्चय अने
व्यवहार (एवा) बे भेदने धारण करे छे. बार प्रकारना तप,
परीषहसहनरूप तप ते व्यवहार (तप छे); तेनाथी कर्मनी निर्जरा
त्यारे ज थाय के ज्यारे इच्छानो निरोध करीने वर्ते, पर इच्छा
मटाडे (अने) स्वरसने भेटे. साधनवडे सिद्धि साचा व्यवहार द्वारा
थाय छे. तेने निष्पन्न राखवानुं (जे) सामर्थ्य, तेनुं नाम
व्यवहारतपवीर्यशक्ति छे; तेना प्रभावथी अनेक ॠद्धिओ ऊपजे छे.
हवे निश्चय तपवीर्यशक्तिनुं स्वरूप कहीए छीएः