छे. ज्ञानवर्तनामां ज्ञानवर्तना छे, दर्शनवर्तनामां दर्शनवर्तना छे; ए
प्रमाणे जुदा जुदा गुणमां गुणवर्तना जुदी जुदी छे. पर्यायमां
पर्यायवर्तना छे; तेमां एटलुं विशेष छे के
समयना पर्यायमां छे. एकपर्यायमां बीजा पर्यायनी वर्तना (होती)
नथी (केमके) पर्याय जुदा जुदा छे. तेथी द्रव्यनी गुण पर्यायना
पुंजनी
(
कहीए, केम के एक गुणरूप द्रव्य नथी; पुंज गुणोवडे गुणपुंजमां वर्ते
छे. तेमां द्रव्यविवक्षामां द्रव्यवर्तना, गुणविवक्षामां गुणवर्तना,
पर्यायविवक्षामां पर्यायवर्तना (ए रीते) अनेकांत सिद्धि विवक्षाथी छे.
तेथी गुण-पर्याय-द्रव्यनी वर्तना
परीषहसहनरूप तप ते व्यवहार (तप छे); तेनाथी कर्मनी निर्जरा
त्यारे ज थाय के ज्यारे इच्छानो निरोध करीने वर्ते, पर इच्छा
मटाडे (अने) स्वरसने भेटे. साधनवडे सिद्धि साचा व्यवहार द्वारा
थाय छे. तेने निष्पन्न राखवानुं (जे) सामर्थ्य, तेनुं नाम
व्यवहारतपवीर्यशक्ति छे; तेना प्रभावथी अनेक ॠद्धिओ ऊपजे छे.