छे; माटे सत्ता वडे सर्वे गुणोनी सिद्धि थई. जो सूक्ष्म(त्व) गुण छे
तो सर्वे गुणो सूक्ष्म छे; जो वस्तुत्व गुण छे तो सर्वे (गुणो)
सामान्य-विशेषता सहित छे; जो द्रवत्व गुण छे तो द्रव्यने द्रवे छे
अबाधित गुण छे तो सर्वे गुणो अबाधित छे; जो अमूर्तिक गुण
छे तो सर्वे (गुणो) अमूर्तिक छे. आ प्रमाणे एक एक गुण सर्वमां
छे (अने ते) सर्वनी सिद्धिनुं कारण छे.
ते गुण छे, तेनी परिणति ते पर्याय छे, आकृति ते व्यंजनपर्याय छे.
वडे (ज्ञान ज्ञेयमां) कई रीते आव्युं?
उपचार परिणतिथी परिणमी छे; उपचारथी (तेने) ज्ञेयाकार कहीए.
द्रव्य-गुण-पर्याय वस्तुना छे. जे वस्तुनुं सत् छे ते ज ज्ञाननुं सत् छे,
केम के जे असंख्य प्रदेश वस्तुना छे ते ज (प्रदेशो) ज्ञानना छे. तेथी
अभेद सत्तानी अपेक्षाए अभेद गुण-पर्यायनी सिद्धि थई. भेद