Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Ek Gunama Sarva Gunonu Roop Sambhave Chhe.

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एक गुणमां सर्व गुणोनुं रुप संभवे छे
वस्तुमां अनंत गुणो छे. ते एक एक गुणमां सर्व गुणोनुं रूप
संभवे छे. कई रीते? ते कहे छे, जो सत्तागुण छे तो सर्वे गुण
छे; माटे सत्ता वडे सर्वे गुणोनी सिद्धि थई. जो सूक्ष्म(त्व) गुण छे
तो सर्वे गुणो सूक्ष्म छे; जो वस्तुत्व गुण छे तो सर्वे (गुणो)
सामान्य-विशेषता सहित छे; जो द्रवत्व गुण छे तो द्रव्यने द्रवे छे
व्यापे छे; जो अगुरुलघुत्व गुण छे तो सर्वे गुणो अगुरुलघु छे; जो
अबाधित गुण छे तो सर्वे गुणो अबाधित छे; जो अमूर्तिक गुण
छे तो सर्वे (गुणो) अमूर्तिक छे. आ प्रमाणे एक एक गुण सर्वमां
छे (अने ते) सर्वनी सिद्धिनुं कारण छे.
एकेक गुणमां द्रव्य-गुण-पर्याय त्रणे साधीए (जेम के) एक
ज्ञान गुण छे. तेनुं ज्ञानरूप तो द्रव्य छे, तेनुं (जाणपणारूप) लक्षण
ते गुण छे, तेनी परिणति ते पर्याय छे, आकृति ते व्यंजनपर्याय छे.
अहीं कोई प्रश्न करे छे केजे परिणति ते पर्याय छे, ज्ञान
ज्ञेयो विषे पर्याय वडे आव्युं छे, तो परिणति तो न आवी! तो पर्याय
वडे (ज्ञान ज्ञेयमां) कई रीते आव्युं?
तेनुं समाधानः(ज्ञाननी) परिणति अभेदरूपे अथवा
तादात्म्यरूपे (तो ज्ञेयमां) आवी नथी, परंतु पर्यायनी शक्ति (ज्ञेयमां)
उपचार परिणतिथी परिणमी छे; उपचारथी (तेने) ज्ञेयाकार कहीए.
द्रव्य-गुण-पर्याय वस्तुना छे. जे वस्तुनुं सत् छे ते ज ज्ञाननुं सत् छे,
केम के जे असंख्य प्रदेश वस्तुना छे ते ज (प्रदेशो) ज्ञानना छे. तेथी
अभेद सत्तानी अपेक्षाए अभेद गुण-पर्यायनी सिद्धि थई. भेद