प्रदेशत्वशकित[ ७७
मानवाथी ज्ञान जुदुं जुदुं थई जाय; ज्ञानप्रमाण आत्मा द्रव्य छे ते पण
जुदो जुदो थई जाय, ए रीते विपरीत थाय छे; माटे वस्तुमां
अंशकल्पना नथी (तेम ज) गुणमां पण (अंशकल्पना) नथी. परंतु
परमाणुमात्र गजथी वस्तुना प्रदेश गणीए त्यारे एटला ( – असंख्य)
छे – एम कहीए छीए. (परंतु) जेम प्रदेशोनुं एकत्व ते वस्तुनुं स्वरूप
छे तेम ज्ञानस्वरूप छे.
क्रमना बे भेद छे – (१) विष्कंभक्रम अने (२) प्रवाहक्रम१;
विष्कंभक्रम प्रदेशोमां छे ने प्रवाहक्रम परिणाममां छे. द्रव्यमां क्रमभेद
नथी, वस्तुना अंग ज एवा भेदने धारण करे छे. पण अंगमां क्रमभेद
छे, वस्तुमां नथी. जेम नरना अंगमां क्रमभेद छे (पण) नरमां नथी;
ए प्रकारे जाणवुं. जेम अरीसामां प्रकाश छे, (त्यां) आखा अरीसामां
(जेवो प्रकाश) छे तेवो ज अरीसाना एक प्रदेशमां छे. ते प्रदेश
अरीसामां जुदो तो नथी पण (ज्यारे) परमाणुमात्र प्रदेशने कल्पीए
त्यारे ते प्रदेशमां जातिशक्ति तो तेवी (अरीसा जेवी) ज छे, परंतु
संपूर्ण वस्तु बधा प्रदेशोनुं नाम पामे छे. ए प्रकारे जाति
– शक्ति भेदथी
तो प्रदेशमां गुण आव्यो, परंतु संपूर्ण आत्मवस्तु तो असंख्य प्रदेशमय
छे; एक प्रदेश लोकालोकने जाणे ते ज सर्व प्रदेशो जाणे, परंतु सर्व
प्रदेशोनो एकत्वभाव ते वस्तु छे.
अहीं कोई प्रश्न करे छे के – एक गुणना अनंत पर्यायो छे; एक
प्रदेशमां एक गुण छे तेमां अनंत पर्यायो कई रीते आव्या?
तेनुं समाधाान – एक प्रदेशमां सूक्ष्म[त्व] गुण छे तेम ज अनंत
गुणो छे, ते सर्वे सूक्ष्म छे; तेथी सूक्ष्मगुणना सर्वे पर्यायना जातिभेद –
शक्तिभेद एक छे एम आव्युं.
वस्तुनो एक गुण छे ते वस्तुमां व्यापक छे (अने) वस्तु सर्वे
गुणोमां व्यापक छे. तेथी सूक्ष्म[त्व] गुण पण पोताना पर्यायवडे सर्वे
१. जुओ प्रवचनसार गा. १४१.