Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration).

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चिद्दविलास
गुणोमां व्यापक छे, अखंडित छे. (जो) एक गुणने खंडखंड पर्यायवडे
जुदो जुदो व्यापक कहेवामां आवे तो सूक्ष्म[त्व गुण] अनंत थई जाय.
एक न रहे; एम थतां द्रव्य अनंत थई जाय. [परंतु] गुणद्रव्य एक
छे तेथी सर्व प्रदेशरूप वस्तु छे तेम ज गुण [पण सर्वप्रदेशरूप] छे.
[जेम] एक गुण तो सर्वे गुणोमां पोतानुं रूप धरे छे (अने) व्यापक
छे तेम एक प्रदेश सर्वे प्रदेशोमां व्यापक नथी. एक प्रदेशनुं अस्तित्व
एक प्रदेशमां छे ने बीजानुं बीजामां छे. परंतु चेतनाना अभिन्नपणाने
लीधे सर्वे प्रदेशो अभिन्नसत्तारूप छे. एक वस्तुना प्रदेश परस्पर
अनुस्युतिरूप अभेद छे. प्रदेशना स्वरूपनो निर्णय करवा माटे कथनमां
तो भेद कह्यो परंतु (सर्वे प्रदेशोनी) जातिशक्तिसत्ताप्रकाश वगेरे
अभेद छे. एक सूक्ष्म(त्व) गुण छे ते सर्वे प्रदेशोमां पोताना संपूर्ण
अस्तित्वने धारण करे छे. तेनामां संपूर्णता छे (एटले) सर्वे गुणोने
संपूर्ण सूक्ष्म कर्या, वस्तुमां जेटला प्रदेशो कह्या तेमां ते एकेक प्रदेशनो
सूक्ष्मत्वगुण जुदो न कहीए, (केम के) ए प्रमाणे सूक्ष्म(त्व) गुण जुदो
कहेतां तो गुणखंड थई जाय. माटे (सर्व प्रदेशोमां) अभेद प्रकाश छे.
तेमां भेद अंशकल्पना (होवा) छतां अभेद छे; प्रदेशो
अवयवोनो पुंज
छे ते एक वस्तुनी सिद्धि करे छे. आ प्रदेशोमां सर्वज्ञत्व अने
सर्वदर्शित्वशक्ति छे ए प्रदेशो पोताना यथावत् स्वभावरूप छे तेथी ते
तत्त्व’शक्तिने धारण करे छे (अने) परप्रदेशोरूप थता नथी तेथी
अतत्त्व’ शक्तिने धारण करे छे, (तेम ज ते प्रदेशो) जडता रहित
[होवाथी] चैतन्य शक्तिने धारण करे छे.इत्यादि अनंत शक्तिओने
ए प्रकारे धरे छे. [ए रीते] प्रदेशशक्ति अनंत महिमाने धरे छे.
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प्रवचनसार गा. ९९ टीका.
१. समयसार गुज. पृ. ५०४;
३ समयसार गुज. पृ. ५०५;
४. जुओ, गुज. समयसार. पृ. ५०३.