विलासनो अस्तिभाव सत्ता वडे छे, तेथी सत्ता ज (तेनो विलास)
करे छे. द्रव्य-गुण-पर्यायनो विलास ज्ञानमां आव्यो; ज्ञानना
वेदनपणाने लीधे ज्ञान ज ए त्रणेनो विलास करे छे. ए ज प्रमाणे
दर्शनमां पण (ते विलास) आव्यो, (तेथी) दर्शन सर्व द्रव्य-गुण-
पर्यायना रूपनो विलास करे छे. परिणाम सर्वने वेदीने रसास्वाद ले
छे, तेथी पर्याय सर्वनो विलास करे छे. आ प्रमाणे, अनंत गुणो
छे. एकेक गुण द्रव्य-गुण-पर्याय त्रणेनो विलास करे छे.