Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Bhavbhav Shakti.

< Previous Page   Next Page >


Page 80 of 113
PDF/HTML Page 94 of 127

 

background image
८० ]
चिद्दविलास
भावभावशकित
समस्त पदार्थोना समस्त विशेषोने ज्ञान जाणे, छे तेम ज
पूर्वे जाण्युं हतुं ने भविष्यमां जाणशे ए (ज्ञान)शक्ति जे पूर्वे हती
ते ज शक्ति भविष्यमां रहे छे, तेथी ज्ञानमां भावभावशक्ति छे.
आ प्रमाणे दर्शनमां जे भाव पूर्वे हतो ते ज भविष्यमां रहे छे
तेथी भावभावशक्ति दर्शनमां पण छे. ज्ञानमां, दर्शनमां ए प्रमाणे
अनंत गुणोमां भावभावशक्ति छे. सर्वे गुणनो भाव एक एक
गुणमां छे तेथी एक पोताना भावथी सर्वे गुणनो भाव छे अने
सर्वे गुणोना भावथी एक गुणनो भाव छे, माटे भावभावशक्ति
गुणोमां छे. एक गुणमां द्रव्य-पर्यायनो भाव छे अने द्रव्य-पर्यायना
भावमां गुणनो भाव छे तेथी भावभावशक्ति सर्वे कहीए. एकेक
भावमां अनंतभाव छे अने अनंतभावमां एक भाव छे. वस्तुनो
सद्भाव प्रगटवो ते भाव छे; एक भावमां अनंत रसनो विलास
छे. विलासना प्रभावने प्रगटपणे (वस्तु) धारण करे छे, वस्तुमां
ज अनेक अंगनुं वर्णन जिनदेव बतावे छे.
वस्तुमां अनंत गुण छे, एक एक गुणमां अनंत शक्ति(रूप)
पर्याय छे, पर्यायमां सर्वे गुणनुं वेदन छे, वेदवामां अविनाशी
सुखरस छे. ए सुखरसना पीवाथी चिदानंद अजर अमर थईने
निवास करे छे.
जुओ समयसार गुज. पृ. ५०५