ते ज शक्ति भविष्यमां रहे छे, तेथी ज्ञानमां भावभावशक्ति छे.
आ प्रमाणे दर्शनमां जे भाव पूर्वे हतो ते ज भविष्यमां रहे छे
तेथी भावभावशक्ति दर्शनमां पण छे. ज्ञानमां, दर्शनमां ए प्रमाणे
अनंत गुणोमां भावभावशक्ति छे. सर्वे गुणनो भाव एक एक
गुणमां छे तेथी एक पोताना भावथी सर्वे गुणनो भाव छे अने
सर्वे गुणोना भावथी एक गुणनो भाव छे, माटे भावभावशक्ति
गुणोमां छे. एक गुणमां द्रव्य-पर्यायनो भाव छे अने द्रव्य-पर्यायना
भावमां गुणनो भाव छे तेथी भावभावशक्ति सर्वे कहीए. एकेक
भावमां अनंतभाव छे अने अनंतभावमां एक भाव छे. वस्तुनो
सद्भाव प्रगटवो ते भाव छे; एक भावमां अनंत रसनो विलास
छे. विलासना प्रभावने प्रगटपणे (वस्तु) धारण करे छे, वस्तुमां
ज अनेक अंगनुं वर्णन जिनदेव बतावे छे.
सुखरस छे. ए सुखरसना पीवाथी चिदानंद अजर अमर थईने
निवास करे छे.