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एक समयनां कारण-कार्यमां त्रण भेद
समय समय(नां) कारण कार्यद्वारा आनंदनो विलास थाय छे.
ते कारणकार्य परिणामथी छे. पूर्व परिणाम कारण छे ते उत्तर
परिणाम(रूप) कार्यने करे छे. ते एक ज कारणकार्यमां त्रण भेद
सधाय छे, ते कहीए छीए. जेम षट्गुणी वृद्धि – हानि एक समयमां
सधाय तेम एक वस्तुना परिणाममां भेद कल्पनाद्वार वडे कारणकार्यना
त्रण भेद साधीए छीए. (ते आ प्रमाणे – ) द्रव्य कारणकार्य, गुण
कारणकार्य अने पर्याय कारणकार्य. प्रथम द्रव्यना कारणकार्य कहीए
छीएः —
द्रव्यना कारणकार्य
(१) द्रव्य पोते ज पोताना स्वभावथी पोतानुं कारण छे अने
पोते ज कार्यरूप छे; अथवा,
(२) गुण-पर्याय ते द्रव्यनुं कारण छे (अने द्रव्य कार्य छे.)
१गुण पर्यायवान् द्रव्य आवुं सूत्रनुं वचन छे;
(३) पूर्व परिणाम युक्त द्रव्य कारण छे अने उत्तर परिणाम
युक्त द्रव्य कार्य छे; २अथवा
(४) ‘सत्’ कारण छे अने द्रव्य कार्य छे; अथवा
(५)
‘द्रवत्वयोगात् द्रव्य’ (एटले के द्रवत्वना योगथी द्रव्य छे) –
द्रवत्वगुण कारण छे अने द्रव्य कार्य छे.
१. जुओ तत्त्वार्थ सूत्र ५ – ३८.
२. स्वामी कार्तिकेयानुप्रेक्षा गा. २२२; २३०.