द्रव्यमां जो कारणकार्य न होय तो द्रव्यपणुं केवी रीते रहे? माटे
संसारमां जेटला पदार्थो छे ते ते सर्वे पोतपोतानां कारण-कार्यने करे
छे. तेथी जीवद्रव्यनां कारणकार्यवडे जीवनुं सर्वस्व प्रगटे छे. जे कांई
छे ते कारण-कार्य ज छे (अर्थात् कारण कार्यमां बधुं आवी जाय छे).
(२) केवळ द्रव्य-पर्याय (गुणनुं) कारण छे एटलुं ज नहि परंतु
गुणोनुं कारण छे अने सर्वे गुणो (तेनुं) कार्य छे. एक सूक्ष्म(त्व) गुण
सर्वे गुणोनुं कारण छे अने सर्वे गुणो कार्य छे. एक अगुरुलघु गुण
सर्वे गुणोनुं कारण छे अने सर्वे गुणो कार्य छे एक प्रदेशत्वगुण सर्वे
गुणोनुं कारण छे अने सर्वे गुणो कार्य छे, आ ज प्रकारे एकेक गुण
सर्वे गुणोनुं कारण छे अने सर्वे गुणो कार्य छे.
होवापणारूप लक्षणवाळी छे, तेथी उत्पाद-व्यय-ध्रुव के जे सत्तानुं
लक्षण छे ते
अगुरुलघुत्वगुणनो विकार (परिणमन) षट्गुणी वृद्धि-हानि छे; ए
वृद्धि-हानिवडे ज अगुरुलघुकार्य नीपज्युं छे, तेथी अगुरुलघु पोते
पोतानुं ज कारण छे. आ प्रमाणे सर्वे गुणो पोतपोतानुं कारण छे
अने पोताना कार्यने पोते ज करे छे. ‘अन्य गुणनिमित्तकारणग्राहक