Gurudevshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 279-280.

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गुरुदेवश्रीनां वचनामृत
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दईने अंदरमां ऊतरी जाय छे; एने प्रतिकूळता नडती ज नथी ने! स्वर्गनो जीव स्वर्गनी अनुकूळतामां पड्यो होय तोपण तेनुं लक्ष छोडी अंदरमां ऊतरी जाय छे. अहीं जराक प्रतिकूळता होय तो ‘अरेरे! मारे आम छे ने तेम छेएम करी करीने अनंत काळ गुमाव्यो. हवे एनुं लक्ष छोडी अंदरमां ऊतरी जा ने! भाई! आ विना बीजो कोई सुखनो मार्ग नथी. २७८.

आत्मचिंतनमां क्यांय गुणभेदनी के रागनी मुख्यता नथी, विकल्पनुं जोर नथी, पण ज्ञानमां परम ज्ञायक- स्वभावना कोई अचिंत्य महिमानुं जोर छे, अने तेना ज जोरे निर्विकल्प थईने मुमुक्षुजीव आत्माने साक्षात स्वानुभवमां लई ले छे; त्यां कोई विकल्प रहेता नथी. आ रीते भेद-विकल्प वच्चे आवता होवा छतां स्वभावना महिमाना जोरे मुमुक्षुजीव तेने ओळंगी जईने स्वानुभूतिमां पहोंची जाय छे. २७९.

लींडीपीपरनो दाणो कदे नानो अने स्वादे अल्प तीखाशवाळो होवा छतां तेनामां चोसठ पहोरी