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प्रवेशी शकतुं नथी; माटे आत्मामां डूबकी मारीने तारी सुखशक्तिने उछाळ – उछाळ!! एटले के पर्यायमां परिणमाव, जेथी तने तारा सुखनो प्रगट अनुभव थशे. २८६.
आजे श्री महावीर भगवानना निर्वाणकल्याणकनो मंगळ दिवस छे. महावीर परमात्मा पण, जेवा आ बधा आत्मा छे तेवा आत्मा हता; तेमने सत्समागमे आत्मानुं भान थयुं अने अनुक्रमे साधनाना उन्नतिक्रममां चडतां चडतां तीर्थंकर थया. जेम चोसठपहोरी पीपर पीसतां पीसतां तीखी तीखी थती जाय छे, तेम आत्मामां जे परमानंद शक्तिरूपे भर्यो छे ते (स्वसन्मुखताना अंतर्मुख) प्रयास वडे बहार आवे छे. महावीर भगवाने, पोताना आत्मामां जे पूर्ण परमानंद भर्यो हतो तेने पोते अनुक्रमे प्रयास करीने प्रगट करी लीधो, मन, वाणी अने देहथी छूटुं पूर्ण ज्ञानानंदमय जे निज तत्त्व तेने पूर्णपणे साधी लीधुं.
जेमने पूर्ण परमानंद प्रगट थई गयो छे एवा परमात्मा फरीने अवतार लेता नथी, परंतु जगतना जीवोमांथी कोई जीव उन्नतिक्रमे चडतां चडतां जगद्गुरु ‘तीर्थंकर’ थाय छे. जगतना जीवोने धर्म पामवानी